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क्या मिलेगा इस जहान मे
दोनो ईक दिन मिल जायेंगे
मिट्टी के इस खान मे।
तो क्यों ना मेरी जां
हमदोनो प्यार करते है
आओ मिलकर मेरी जां
बेशुमार करते हैं।
तो क्यों ना मेरी जां
दोनो साथ चलते हैं
ये रास्ते जहाँ ले जाये
वहाँ चलते हैं।
चलते-चलते जब थक जायेंगे
तो बैठ रहेंगे किनारे हम
फिर उठकर चल देंगे
एक नये जहाँ के दुआरे हम।
कि उपर वहाँ सितारों मे भी
एक जहां बसता है
ज़रा पुछो ना मेरी जाँ
कहाँ बसता है।
ये वहाँ बसता है
जहाँ मेरी धड़कनो की तरंगे
मिल पड़ती है तरंगो से तेरे
जहाँ मेरी उमंगे फट पड़ती है
जरा सा मुसकने से तेरे।
ये वहाँ बसता है
जहाँ चाहते ना हो
बदन को बदन के धाह की
बस ईक तेरी रूह हो
ईक मेरी रूह हो
और चाहते आग सी।
ना हो शक्ल-ए-इबादत
ना हो उम्र-ए-दरिया
ना हो खुशबूयें
किसी लिबास की
बस ईक तेरी याद हो
ईक मेरी याद हो
हर जहां को भूलती।
ना हो कोई बंधन
ना पांव मे जकड़ी बेड़ियाँ
घर्म, जात, रीति-रिवाज की
बस एक तुम रहो
बस एक मै रहूँ
और बातें
व़स्ल की रात की।
ये वहाँ है मेरी जां
जहाँ हर कोई नही
पहुँच पाया है
बस कुछ लोग हुये
लैला-मज़नू, सिरी-फ़रहाद से
जो वहाँ जा पाया है।
चलो उसी सितारो मे चलते हैं
चलो अब इस गगन मे
हम भी चमकते हैं
हम कहानियो, गीतो मे
गुनगुनाये जायेंगे
प्रेमियों के मालो मे,
गज़लो मे पिरोये जायेंगे
तो चलो,
अब अमर हो चलते हैं
चलो वहाँ सितारो मे चलते हैं।
कि लड़-झगड़कर मेरी जां
क्या मिलेगा इस जहान मे
दोनो ईक दिन मिल जायेंगे
मिट्टी के इस खान मे।
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